राष्ट्रपति मुर्मू ने देहरादून में किया राष्ट्रपति निकेतन के नए युग का शुभारंभ
राष्ट्रपति मुर्मू ने देहरादून में किया राष्ट्रपति निकेतन के नए युग का शुभारंभ
फुट ओवरब्रिज और घुड़सवारी क्षेत्र बने आधुनिकता, सुरक्षा और परंपरा के प्रतीक
देहरादून की वादियों में एक बार फिर इतिहास रचा गया, जब भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘राष्ट्रपति निकेतन’ के नवनिर्मित परिसर का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम ने न केवल उत्तराखंड की सांस्कृतिक गरिमा को बढ़ाया, बल्कि यह भी दर्शाया कि कैसे आधुनिकता और परंपरा का संगम एक नई दिशा दे सकता है।
🌿 राष्ट्रपति निकेतन: परंपरा और प्रकृति का अद्भुत संगम
देहरादून स्थित राष्ट्रपति निकेतन लंबे समय से राष्ट्रपति के अवकाश गृह के रूप में जाना जाता रहा है। इसे पहले ‘राष्ट्रपति भवन एस्टेट’ कहा जाता था, लेकिन हाल ही में इसके पुनर्निर्माण और आधुनिकीकरण के बाद इसका नाम ‘राष्ट्रपति निकेतन’ रखा गया है — एक ऐसा नाम जो भारतीयता और आत्मीयता से परिपूर्ण है।
नवीन स्वरूप में राष्ट्रपति निकेतन पर्यावरण-संवेदी निर्माण तकनीक, सौर ऊर्जा, जल संरक्षण और स्थानीय वास्तुकला के सुंदर मेल का उदाहरण है। इस परिसर का डिजाइन स्थानीय पहाड़ी संस्कृति और आधुनिक सुविधाओं का संतुलित मिश्रण प्रस्तुत करता है।
🏗️ फुट ओवरब्रिज: सुरक्षा और सुविधा का नया प्रतीक
राष्ट्रपति मुर्मू ने उद्घाटन समारोह के दौरान नए फुट ओवरब्रिज का भी उद्घाटन किया। यह पुल न केवल सुरक्षा का प्रतीक है बल्कि यह स्थानीय निवासियों और पर्यटकों के लिए बड़ी सुविधा भी प्रदान करेगा।
फुट ओवरब्रिज का निर्माण अत्याधुनिक तकनीक से किया गया है जिसमें स्टील और पारदर्शी ग्लास का संयोजन देखने को मिलता है। रात के समय यह ब्रिज LED लाइट्स से जगमगाता है, जो देखने में बेहद आकर्षक प्रतीत होता है।
यह पुल राष्ट्रपति निकेतन को आसपास के क्षेत्रों से जोड़ता है और यहां आने-जाने वाले लोगों को सड़क पार करते समय सुरक्षा का भरोसा देता है। इसके साथ ही यह निर्माण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत, सशक्त उत्तराखंड’ के विज़न को भी साकार करता है।
🐎 घुड़सवारी क्षेत्र: परंपरा, खेल और अनुशासन का प्रतीक
देहरादून का घुड़सवारी क्षेत्र या इक्वेस्ट्रियन एरिया हमेशा से ही आकर्षण का केंद्र रहा है। इस अवसर पर राष्ट्रपति मुर्मू ने नव-निर्मित घुड़सवारी क्षेत्र का भी उद्घाटन किया, जिसमें आधुनिक प्रशिक्षण सुविधाएँ, सवारों के लिए राइडिंग ट्रैक और घोड़ों के लिए सुरक्षित अस्तबल बनाए गए हैं।
यह क्षेत्र भारतीय सेना की परंपरागत घुड़सवारी संस्कृति और उत्तराखंड के पर्वतीय अनुशासन का सुंदर उदाहरण है। राष्ट्रपति ने कहा कि यह क्षेत्र न केवल खेलों को बढ़ावा देगा, बल्कि युवाओं में आत्मविश्वास और अनुशासन की भावना भी जगाएगा।
🌏 पर्यावरण के प्रति संवेदनशील निर्माण
राष्ट्रपति निकेतन को पूरी तरह ग्रीन बिल्डिंग मानकों के अनुरूप बनाया गया है। परिसर में वर्षा जल संचयन, सौर ऊर्जा, अपशिष्ट प्रबंधन और प्राकृतिक वेंटिलेशन जैसी तकनीकों का उपयोग किया गया है।
यह उत्तराखंड की उस सोच को दर्शाता है जिसमें विकास के साथ पर्यावरण की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है।
👩💼 राष्ट्रपति मुर्मू का संदेश: “परंपरा और प्रगति साथ चलें”
अपने संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा,
“राष्ट्रपति निकेतन आधुनिक भारत की उस आत्मा का प्रतीक है, जो अपनी जड़ों से जुड़ी रहकर विकास के नए आयाम तय कर रही है। उत्तराखंड की संस्कृति, शौर्य और प्रकृति — इन तीनों का संगम इस स्थान पर देखने को मिलता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत जैसे विविधता से भरे देश में विकास तभी सार्थक है जब वह समानता, पर्यावरण और सांस्कृतिक मूल्यों के साथ आगे बढ़े।
🏞️ उत्तराखंड सरकार की भूमिका और दृष्टि
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी राष्ट्रपति मुर्मू का स्वागत करते हुए कहा कि राष्ट्रपति निकेतन का यह रूप उत्तराखंड की आत्मा को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार पर्यावरण-संरक्षण और बुनियादी ढांचे के विकास में एक साथ कदम बढ़ा रही है।
उन्होंने कहा —
“यह परियोजना उत्तराखंड के लोगों के गर्व का प्रतीक है। हम चाहते हैं कि आने वाले वर्षों में देहरादून न केवल शैक्षणिक राजधानी के रूप में बल्कि सांस्कृतिक और पर्यटन केंद्र के रूप में भी विश्व पटल पर उभरे।”
💡 आधुनिक तकनीक और स्थानीय संसाधनों का मेल
राष्ट्रपति निकेतन का निर्माण स्थानीय कारीगरों की मेहनत और पहाड़ी वास्तुकला से प्रेरित डिजाइन का परिणाम है। परिसर में उपयोग किए गए अधिकांश निर्माण-सामग्री स्थानीय स्रोतों से ली गई हैं — जैसे पत्थर, लकड़ी और मिट्टी की ईंटें।
इसके अलावा, हर इमारत को इस तरह से बनाया गया है कि प्राकृतिक रोशनी और हवा का अधिकतम उपयोग हो सके। इससे ऊर्जा की खपत घटती है और वातावरण शुद्ध बना रहता है।
🎖️ सामाजिक प्रभाव और स्थानीय रोजगार
इस परियोजना से देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। निर्माण कार्य के दौरान सैकड़ों स्थानीय मजदूरों, इंजीनियरों और कारीगरों को रोजगार मिला।
साथ ही, पर्यटक सुविधाओं के विकास से स्थानीय होटल, टैक्सी और छोटे व्यवसायों को भी लाभ होगा।
🕊️ सांस्कृतिक दृष्टि से महत्व
राष्ट्रपति निकेतन न केवल एक प्रशासनिक या आधिकारिक परिसर है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति के गहन मूल्यों का प्रतीक भी है। यहां पहाड़ी लोककला, चित्रकला और पारंपरिक स्थापत्य शिल्प का समावेश किया गया है।
देहरादून का यह नया गौरव स्थल आने वाले समय में सांस्कृतिक आयोजनों, राष्ट्रीय कार्यक्रमों और अतिथि स्वागत का भी केंद्र बनेगा।
📈 उत्तराखंड का नया विकास मॉडल
देहरादून में राष्ट्रपति निकेतन का उद्घाटन सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह उत्तराखंड के विकास मॉडल की झलक है।
यह बताता है कि छोटे राज्य भी बड़े विचारों से परिवर्तन ला सकते हैं।
पर्यटन, पर्यावरण और प्रशासन — तीनों क्षेत्रों में यह परियोजना एक मिसाल बनकर उभरी है।
🌺 निष्कर्ष: विकास के साथ संस्कृति का संगम
राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा राष्ट्रपति निकेतन के उद्घाटन के साथ उत्तराखंड ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। फुट ओवरब्रिज और घुड़सवारी क्षेत्र के निर्माण से यह संदेश स्पष्ट है कि आधुनिकता तभी सार्थक है जब वह सुरक्षा, परंपरा और मानवीय संवेदनाओं के साथ जुड़ी हो।
देहरादून का यह ‘नया निकेतन’ भारत के बदलते स्वरूप का प्रतीक है — जहाँ विकास केवल इमारतों में नहीं, बल्कि विचारों, मान्यताओं और मूल्यों में भी झलकता है।


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